सोमवार, 28 नवंबर 2011
असुविधा: ओबामा के रंग में यह कौन है- लीलाधर मंडलोई
असुविधा: ओबामा के रंग में यह कौन है- लीलाधर मंडलोई: ख्यात और अब वरिष्ठ हो चले कवि लीलाधर मंडलोई की यह कविता कल भाई कुमार मुकुल की फेसबुक वाल पर पढ़ी. पढने के बाद जिस कदर रोमांचित हुआ, म...
सोमवार, 21 नवंबर 2011
न मिले
मुझे कुछ ऐसा
जो अपने साथ लाता हो
खो जाने का भय ,
तुम भी नहीं !
किसी के जाने के बाद -
बड़ा हो जाता है घर, आँगन ,
लम्बी हो जाती है
कपडे सुखाने की रस्सी ,
बर्तन फालतू ,
कम हो जाती हैं लेकिन
आँगन की चिड़ियाँ ,
तुलसी की पत्तियाँ ,
अगरबत्तियाँ अधजली ,
भिखारी की टेर !
दूध का ,धोबी का हिसाब
अब डायरी पे नहीं लिखा जाता है ,
अखबार दो और लगा लिए हैं
ज्यादा आया है इस बार बिजली का बिल ,
फोन कटवा दिया है !
सदस्यता लें
संदेश (Atom)