सोमवार, 21 नवंबर 2011

न मिले 
मुझे कुछ ऐसा 
जो अपने साथ लाता हो 
खो जाने का भय ,
तुम भी नहीं !
किसी के जाने के बाद -
बड़ा  हो जाता है घर, आँगन ,
लम्बी हो जाती है 
कपडे सुखाने की रस्सी ,
बर्तन फालतू ,
कम हो जाती हैं लेकिन 
आँगन की चिड़ियाँ ,
तुलसी की पत्तियाँ ,
अगरबत्तियाँ अधजली ,
भिखारी की टेर !
दूध का ,धोबी का हिसाब 
अब डायरी पे नहीं लिखा जाता है ,
अखबार दो और लगा लिए हैं 
ज्यादा आया है इस बार बिजली का बिल ,
फोन कटवा दिया है !

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